चुनावों के बाद, वोट डालने के लिए लंबी कतार में खड़ी औरतों की तस्वीरें अख़बारों की सुर्खियां बनती हैं. मगर चुनाव से पहले इन औरतों के बारे में कितना सोचा जाता है? ये औरतें चुनाव के बारे में क्या सोचती हैं?
अपनी-अपनी पार्टियों का घोषणापत्र बनाते समय क्या नेताओं के ज़हन में इनमें से किसी औरत की सूरत आती है? क्या उन घोषणापत्र के लिए वादे या योजनाएं बनाते वक़्त इन महिलाओं का ख़याल उनके ज़हन में आता है?
आठ फ़रवरी को दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों के लिए चुनाव होना है और हमने इस चुनाव को महिलाओं के नज़रिए से देखने की कोशिश की.
इस सिलसिले में हमने दिल्ली की दो विधानसभा सीटों ओखला के जामिया नगर और अंबेडकर नगर के दक्षिणपुरी में रहनी वाली महिलाओं से बात की.
48 वर्षीय तहरीमा अहमद जामिया नगर में अपने बेटे के साथ ग़फ़्फ़ार मंज़िल कॉलोनी के एक अच्छे-खासे घर में रहती हैं.